Best 2 Grandparents Day Essay In Hindi 2022

दादा-दादी (Grandparents) घर की रौनक होते हैं और अपने पोता – पोती को उनके माता-पिता से भी ज्यादा प्यार करते हैं और उन्हें अच्छी कहानियां सुनाकर उनके बचपन को और भी ज्यादा बेहतर बनाते हैं। इस साल 2022  में ये पर्व 11  सितम्बर  को है।

आज हम आपके लिये Grandparents Day Essay ले कर आये हैं जो आपको बहुत पसंद आयेंगे|

अगर आपको भी अपने विद्यालय की ओर से Grandparents Day Essay लिखने को कहा गया हैं तो आप निचे दिए गए Best 2 Grandparents Day Essay 2022 In Hindi में से इसका चुनाव कर सकते हैं|

Best 2 Grandparents Day Essay 

Grandparents Day Essay
Grandparents Day Essay

Short Grandparents Day Essay 

Essay 1 (निबंध  400 शब्द )

दादा-दादी(Grandparents) के साथ रहना, उनके आस-पास रहना अपने आप में एक मज़ेदार एहसास हैं। वे न केवल ज्ञान के मोती फैलाते हैं बल्कि प्यार और देखभाल के साथ हमारे जीवन को भी खुशियों से भर देते हैं। उनके आसपास होने की भावना शब्दों के माध्यम से वर्णित नहीं की जा सकती। दादा-दादी द्वारा दिए गए प्यार और स्नेह का कोई मेल नहीं है। अधिकांश दादा-दादी अपने पोता-पोती के साथ एक विशेष बंधन को साझा करते हैं।

दादा-दादी और पोता-पोती का संबध:

प्रत्येक घर में बुजुर्ग गहरी जड़ों वाले बरगद वृक्ष की भांति है जिसकी शाखाओं के रूप में परिवार के अन्य सदस्य होते हैं। हर घर में बड़ों की भूमिका हैं। जो हमें सही दिशा भी देते है और अपने छाया में आश्रय भी देते हैं। भारतीय संस्कृति में बड़े के आशीर्वाद भी जीवन में कामयाबी के अंग माने जाते हैं।हम जानते है कि दादा और दादी का साथ जीवनभर नहीं रह पाता हैं। उम्रः की अपनी एक सीमा होती है जिसके चलते वे हमसे बिछड़ जाते हैं।

इसलिए उनकी जरूरतों का ख्याल रखना, उनके अधूरे सपनें जानकर उनके जीवित रहते पूर्ण करना। चलने में असमर्थ हो तो उन्हें दोस्तों रिश्तेदारों से मिलवाना, उनके साथ खेल खेलना तथा सुबह या शाम में उनकी वाक के साथ जाना, बाते करना और व्यंजन खिलाकर हम उनके जीवन के अंतिम पडाव को अधिक खुशनुमा कर सकते हैं।

वहीं आज की युवा पीढ़ी सुंयुक्त परिवार में रहना नहीं पसंद करती है, सेपरेट परिवार में रहना एक ट्रेंड सा बनता जा रहा है। जिसके चलते आज के बच्चों को दादा-दादी और नाना – नानी का प्यार नहीं मिल पाता है।

वहीं इस बात को हर माता-पिता को जरूर समझना चाहिए और अपने बच्चों को दादा-दादी के पास रहने का मौका देना चाहिए ताकि उन्हें दादा-दादी का भरपूर प्यार मिल सके, क्योंकि दादा-दादी के प्यार के बिना बचपन अधूरा होता है।

Best Long Grandparents Day Essay In Hindi

Essay 2 (निबंध –  1000 शब्द )

जीवन में परिवार के बड़ो के आश्रय को एक एहसास कुछ अनोखा ही होता हैं। आज प्रेमियों के लिए वेलेंटाइन डे, भाई बहिनों के लिए राखी, भाई दूज, मातृ पितृ दिवस हम मनाते हैं तो एक दिन उन दादा दादी  अथवा नाना नानी के नाम भी एक दिवस होने ही चाहिए, वैसे सौभाग्यशाली संताने अपना हर दिन उन्ही को समर्पित करती हैं फिर भी एक विशेष अवसर के रूप में दादा दादी दिवस (Grandparents Day) मनाना चाहिए। हमारा आज का निबंध इसी विषय पर दिया गया हैं।

प्रस्तावना:
दादा-दादी और पोता-पोती का अटूट रिश्ता होता है। इस रिश्ते से कई भावनात्मक भावनाएं जुड़ीं रहती हैं। इनके बीच का प्रेम और बंधन काफी मजबूत होता है।

वहीं जिस घर में दादा-दादी होते हैं, उस घर का अलग ही माहौल होता है, ऐसे घरों के रिश्तों में प्यार और सम्मान की भावना होती है और आपसी रिश्ते काफी मजबूत होते हैं साथ ही बच्चों के अंदर संस्कार भरे होते हैं। दादा-दादी(Grandparents) के प्यार और स्नेह के बिना हर बच्चे का बचपन अधूरा है, क्योंकि उनका प्यार और स्नेह बेमिसाल होता है।

दादा-दादी और पोता-पोती का रिश्ता:
बुजुर्ग पीढ़ी के लोग भावी लोगों के लिए सारथी की भूमिका निभाते हैं। वे हमारे जीवन के जिन्दा इतिहास के साक्ष्य होते हैं। हर कोई अपने दादा दादी से अथाह प्रेम करता हैं। दादा – दादी और पोते पोती के रिश्ते एक अच्छे दोस्त से भी बढ़कर होते हैं। वे हमें न सिर्फ ढेर सा प्यार देते हैं बल्कि ज्ञान रुपी मोती भी प्रदान करते हैं।

मैं अपने दादा दादी(Grandparents) के साथ रहता हूँ उनके अहसास तथा साथ रहने के भाव इससे प्राप्त होने वाले संतोष को शब्दों में वर्णित नहीं किया जा सकता। अपनी उम्रः के अंतिम पडाव में जाकर भी कई वृद्ध महाशय जीवन के सुख को भोग नहीं पाते हैं। आज के हमारे समाज में वृद्धाश्रम की व्यवस्था ने रिश्तों को तार तार करने में कोई कसर नहीं छोड़ी हैं।

वे लोग बेहद खुशनसीब होते हैं जिन्हें बचपन में दादा दादी का प्यार नसीब हो। उनके प्यार व स्नेह में जीवन शिक्षा एवं संस्कार गुथे होते हैं। घर के सम्मानीय एवं बुजुर्ग सदस्य होने के नाते सभी उनका सम्मान करते हैं तथा उनकी कही हर एक बात का पालन किया जाता हैं। जिस तरह सरकारों को परामर्श के थिंकटैंक की आवश्यकता होती हैं एक परिवार में इनका वही महत्व होता हैं।

जीवन के राज और अनुभव केवल वे लोग ही जानते है जिन्होंने जीवन को जिया हैं। मेरे दादा दादी उन्ही में से एक हैं। परिवार के सभी लोगों के प्यार से अधिक इन वृद्ध दादा दादी का प्यार होता हैं। माता पिता की डांट अथवा पिटाई के बाद दादाजी के कुछ शब्द ही दर्द पर मरहम लगा देते हैं।  बचपन में हम दादा दादी (Grandparents) की प्राचीन कहानियों को सुन सुनकर ही बड़े हुए हैं। उम्रः के इस दौर में हमें उनका ख्याल रखना चाहिए। यही हमारा कर्तव्य हैं।

आज अक्सर देखने को मिलता हैं दो पीढियों के बीच गैप के कारण बच्चें अपने माता पिता, दादा दादी से बिलकुल दूर हो जाते है यहाँ तक कि उनसे बात करना, सलाह लेना भी पसंद नहीं करते हैं। हमारी शिक्षा व्यवस्था में महत्व केवल कक्षाओं या डिग्रीयों को ही दिया जाता हैं न कि अनुभव या ज्ञान को। यही वजह है कि आज के युवा वृद्ध बुजुर्गों के प्रति एक आम राय रखते है कि ये तो अनपढ़, दकियानूची, अज्ञानी होते हैं, जबकि यह बात पूरी तरह उन कहने वाले पर लागू होती हैं।

इसलिए माता पिता को भी चाहिए कि वे अपने बच्चें का दादा दादी से अच्छे रिश्ते बनाने में मदद करे। क्योंकि अक्सर देखा गया हैं बच्चें जितनी गोपनीय बाते अपने दोस्तों के साथ शेयर नहीं करते हैं उससे अधिक वे अपने दादाजी से बात करते हैं।

दादा-दादी के पास रहने से इन गुणों का होता है विकास:
1 अच्छे संस्कारों का विकास होता है।
2 अनुशासन की भावना विकसित होती है।
3 रिश्तों का महत्व समझने में मद्द मिलती है।
4 प्रेम – सम्मान की भावना का विकास होता है।
5 रिश्तों में मजबूती आती है।
6 जीवन में आगे बढ़ने का प्रोत्साहन मिलता है।
7 बचपन को सही तरीके से जीने का मौका मिलता है।
8 शारीरिक और मानसिक दोनों रुप से विकास होता है।
9 सही पालन-पोषण में मदद मिलती है।

जीवन के लिए मूल्यवान पाठ:
जब बच्चे अपनी उम्र के बढ़ते चरण में होते हैं और उन्हें जीवन को बेहतर तरीके से समझने, मूल्यवान सबक सिखने की जरूरत होती है तो माता-पिता अक्सर अपने करियर में व्यस्त रहते हैं और मुश्किल से उनके साथ गुणवत्ता का समय बिता पाते है ताकि उन्हें जीवन की अच्छाई और बुराई से अवगत करा सकें।

दादा-दादी(Grandparents) इस मामले में बहुत अधिक अनुभवी होते हैं और अक्सर एक संयुक्त परिवार में रहकर बच्चों के साथ अधिक समय बिता पाते हैं। संयुक्त परिवार में रहने वाले बच्चे इस प्रकार जीवन के लिए ज़रूरी अच्छे नैतिक मूल्यों और अन्य मूल्यवान सबक सीख सकते हैं।

दादा-दादी के कर्तव्य:
1 अपने पोता-पोती की सही देखभाल करने में सहयोग करें।
2 पोता-पोती से दूर रहकर भी संपर्क बनाए रखें।
3 बड़प्पन न दिखाएं, बच्चों की तरह पेश आएं।
4 सख्ती से पेश न आएं।
5 हमेशा अच्छी सलाह दें।
6 अच्छे संस्कार डालने में मद्द करें।

पोता-पोती के कर्तव्य:
1 दादा-दादी के सेवा में तत्पर रहें।
2 दादा-दादी की भावनाओं का रखें ख्याल।
3 दादा-दादी का आदर-सम्मान करें।
4 दादा-दादी, नाना-नानी से संपर्क बनाए रखें।
5 दादा-दादी की जरूरतों को पूरा करने में उनकी मद्द करें।
6 दादा-दादी के बताए गए मार्गों का अनुसरण करें और उनकी बात को गहराई से समझने की कोशिश करें।
7 समय-समय पर दादा-दादी के साथ आउटिंग पर जाएं।
8 दादा-दादी के साथ ज्यादा से ज्यादा समय व्यतीत करने की कोशिश करें।
9 दादा-दादी को समय-समय पर उनके खास दिनों पर गिफ्ट देना नहीं भूलें।

उपसंहार:
दादा-दादी और पोता-पोती के बीच एक बेहद प्यार भरा रिश्ता होता है। इसलिए आज की युवा पीढ़ी को इस तरफ ध्यान देना चाहिए और अपने बच्चों को संयुक्त परिवार प्रणाली से अलग कर उन्हें दादी-दादा (Grandparents) के प्यार से वंचित नहीं करना चाहिए, बल्कि यह कोशिश करनी चाहिए की उनके बच्चों को दादा-दादी का अपार प्यार और स्नेह मिल सके क्योंकि दादी-दादा और नाना-नानी का प्यार और स्नेह बेमिसाल होता है, उनके प्यार के बिना हर बच्चे का बचपन अधूरा होता है।

निष्कर्ष:
दादा-दादी बनना, विशेष रूप से पहली बार, जिंदगी भर न भूलने वाला अनुभव हो सकता है। शांत रहें और ज्यादा उतावले न हो तथा जैसे ही आप जीवन के इस नए चरण में प्रवेश करते हैं तो एक सकारात्मक दृष्टिकोण को अपनाए।

बच्चों के मानसिक और शारीरिक विकास के लिए संयुक्त परिवार व्यवस्था सबसे अच्छी है। यद्यपि यह व्यवस्था धीरे-धीरे लुप्त होती जा रही है पर कुछ लोग अभी भी अकेले परिवार बसाने के चलन की बजाए इसे पसंद करते हैं।

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